पाणिनि सूत्र
अक: सवर्णे दीर्घ:।
अकः सवर्णेऽचि परे पूर्वपरयोरेको दीर्घो भवति।
ILLUSTRATIONS
धर्म + अर्थ
ध्+अ+र्+म्+अ + अ+र्+थ्+अ
अ+अ= आ
ध्+अ+र्+म्+ आ +र्+थ्+अ
धर्मार्थ
मुनि + इन्द्र
म्+उ+न्+इ + इ+न्+द्+र्+अ
इ+इ= ई
म्+उ+न्+ई+न्+द्+र्+अ
मुनीन्द्र
भानु + उदय
भ्+आ+न्+उ + उ+द्+अ+य्+अ
उ+उ= ऊ
भ्+आ+न्+ ऊ +द्+अ+य्+अ
भानूदय
पितृ + ऋणम्
प्+इ+त्+ऋ + ऋ+ण्+अ+म्+अ
ऋ+ऋ= ॠ
प्+इ+त्+ ॠ +ण्+अ+म्+अ
पितॄणम्
अ-अ
अ + अ = आ –> धर्म + अर्थ = धर्मार्थ
अ + आ = आ –> हिम + आलय = हिमालय
अ + आ =आ–> पुस्तक + आलय = पुस्तकालय
आ + अ = आ –> विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
आ + आ = आ –> विद्या + आलय = विद्यालय
इ-इ
इ + इ = ई –> मुनि + इंद्र = मुनींद्र
इ + ई = ई –>गिरि + ईश = गिरीश
ई + इ = ई –>मही + इंद्र = महींद्र ;
ई + ई = ई –> मही + ईश = महीश .
उ-उ
उ + उ = ऊ –> भानु + उदय = भानूदय
उ + ऊ = ऊ –> लघु + ऊर्मि = लघूर्मि
ऊ + उ = ऊ –> वधू + उत्सव = वधूत्सव
ऊ + ऊ = ऊ –> भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व
ऋ-ऋ
पितृ + ऋणम् = पित्रणम्
EXAMPLES FROM AYURVEDA SAMHITA
व्यक्तः शुष्कस्य चादौ च रसो द्रव्यस्य लक्ष्यते|
विपर्ययेणानुरसो रसो नास्ति हि सप्तमः||२८||
-
च + आदौ = चादौ
-
विपर्ययेण + अनुरसो = विपर्ययेणानुरसो
-
न + अस्ति = नास्ति